माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान, भोपाल समाज में विज्ञान जागरुकता के प्रसार के लिए भी काम कर रहा है। जागरुक समाज ही विज्ञान के वरदान और अभिशाप में अंतर समझ सकता है, और तदनुरूप उनका लाभ उठा सकता है। लोक संस्कृति और लोक व्यवहार में ऐसी अनेक मान्यताएँ और प्रथाएँ विद्यमान हैं जिनसे प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठाते हुए विवेकसम्मत आचरण किया जा सकता है। इस उदे्दश्य को लेकर सप्रे संग्रहालय व्याख्यान और कार्यशालाओं का आयोजन करता है। नदियों के तट पर युवा पीढ़ी के साथ प्रकृति और विज्ञान विषयों पर खुले संवादों और व्यावहारिक शिक्षण का भी सिलसिला चला आता है। बोधगम्य साहित्य का प्रकाशन और वितरण भी इसी उपक्रम का अंग है।